समलैंगिकता जैसे परपीड़न, स्वपीड़ासक्ति, एक अव्यक्त रूप में हर इंसान में मौजूद है, और कभी कभी सपने में स्वयं को प्रकट. परपीड़न. व्यक्ति अधिक डरते - डरते बर्ताव करता है, और इस व्यवहार ही आक्रामक और रक्षात्मक प्रवृत्ति के लिए एक "वाल्व", आत्मरक्षा के आवेगों है.
परपीड़न - भयानक, चौंकाने वाली खबर.
एक भयानक, चौंकाने वाली खबर.